गुटनिरपेक्ष आंदोलन | Class 12 Political Science Notes in Hindi (NCERT आधारित)

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement – NAM) – Class 12 Political Science Notes in Hindi

👉 इस लेख में आप पढ़ेंगे –

  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन की परिभाषा और अर्थ
  • इसके प्रमुख उद्देश्य और सिद्धांत
  • NAM के संस्थापक देशों और नेताओं के नाम 
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत महत्वपुर्ण भूमिका 
  • गुटनिरपेक्ष सम्मेलनगुटनिरपेक्षता को अपनाने की भारत की महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षा
  • बोर्ड परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

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गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement – NAM) – Class 12 Political Science Notes in Hindi।

गुटनिरपेक्ष का शाब्दिक अर्थ हैं किसी भी गुट से अपनी तटस्था या दुरी बनाये रखना
विश्व राजनीती में गुटनिरपेक्षता का अर्थ उस परिस्थिति से देखा जाता हैं जब कई देशों मे अमेरिका और सोवियत संघ ने  एक खेमे मे जाने से खुद को रोका। इस विचारधारा को गुटनिरपेक्ष आंदोलन ककहा गया
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत युगोस्लाविया जोसेफ ब्रॉज टीटो, भारत के प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, मिस्र के गमाल अब्दुल नासिर, इंडोनेशिया के सुकर्णो तथा घाना के वामे एन्क्रूमा द्वारा की गयी
पहला गुटनिरपेक्ष आंदोलन सम्मेलन वर्ष 1961 में बेलग्रेड में हुआ, जिसमे पच्चीस देशों नें भाग लिया 

  • इस सम्मेलन में मुख्य तीन बातों का ध्यान दिया गया :-
(i) इन पांचों देशों के बीच आपसी सहयोग
(ii) शीतयुद्ध के प्रसार को कम करना
(iii) अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से नव -स्वतंत्रीय अफ़्रीकी देशों का उदय हुआ


गुटनिरपेक्ष आंदोलन  के उद्देश्य

गुटनिरपेक्ष आंदोलन  के निम्नलिखित उद्देश्य :-
1. सदस्य देशों को शक्ति गुटों से अलग रखना।
2 . विकासशील देशों के सम्मान एवं प्रतिष्ठा प्रतिष्ठा  बढ़ावा देना।
3. उपनिवेशवाद एवं समाजवाद  समाप्त  करना।
4. अंतराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा  प्रोत्साहन देना।
5. नस्लीय भेदभाव एवं रंगभेद अंत।
6. नव अंतराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था  स्थापना करना - NIEO 
7. मानवाधिकारों को विश्व में लागू करना।


गुटनिरपेक्षता की प्रक़ति एवं सिंद्धांत

गुटनिरपेक्षता की प्रक़ति एवं सिंद्धांत निम्नलिखित प्रकार से हैं :-
(i) कई विचारक इसे तटस्था समझते थे परन्तु गुटनिरपेक्षता की प्रकृति वास्तव में कुछ और ही है।
(ii) गुटनिरपेक्षता तटस्था नहीं हैं , गुटनिरपेक्षता की प्रकृति तटस्था से बिलकुल अलग है। तटस्था का मतलब हैं :- किसी भी मुद्दें पर उसमे भाग न ले।
(iii) गुटनिरपेक्षता - पहले से ही किसी मुद्दे पर उसके गुण-दोषों को ध्यान में रखे बिना उसपर अपना मत बनाये रखना।
(iv) गुटनिरपेक्षता  राष्ट्रहित तथा आपसी सहयोग को बढ़ावा देती हैं।
(v) यह राष्ट्रों के बीच में किसी भी प्रकार का मनमुटाव उत्पन्न होने से रोकती हैं।
(vi) गुटनिरपेक्षता विश्व शांति और आर्थिक  सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी बहुत आवश्यक हैं क्योकि गुटनिरपेक्ष देश दो देशों के बिच में शांति की स्थिति बनाने में महत्वपुर्ण भूमिका निभाती हैं।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के संस्थापक देश और नेता

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) की औपचारिक शुरुआत 1961 में बेलग्रेड (युगोस्लाविया) में हुई थी। इसके संस्थापक देश और नेता निम्नलिखित थे –

🏳️ संस्थापक देश और उनके नेता

  1. भारत (India) – पंडित जवाहरलाल नेहरू
    भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने NAM की विचारधारा को आकार दिया और स्वतंत्र विदेश नीति (Independent Foreign Policy) की वकालत की।

  2. युगोस्लाविया (Yugoslavia) – जोसिप ब्रोज़ टिटो (Josip Broz Tito)
    युगोस्लाविया के राष्ट्रपति टिटो NAM के प्रमुख नेता थे जिन्होंने इस आंदोलन के आयोजन में केंद्रीय भूमिका निभाई।

  3. मिस्र (Egypt) – गमाल अब्देल नासिर (Gamal Abdel Nasser)
    मिस्र के राष्ट्रपति नासिर ने अफ्रीकी देशों को NAM से जोड़ने में बड़ा योगदान दिया।

  4. इंडोनेशिया (Indonesia) – सुकर्णो (Sukarno)
    इंडोनेशिया के नेता सुकर्णो ने उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ NAM को मजबूती प्रदान की।

  5. घाना (Ghana) – क्वामे नक्रूमा (Kwame Nkrumah)
    घाना के पहले राष्ट्रपति नक्रूमा ने अफ्रीका की स्वतंत्रता और गुटनिरपेक्ष नीति को बढ़ावा दिया।


गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत महत्वपुर्ण भूमिका :- 

1. गुटनिरपेक्ष आंदोलन को भारत का प्रोत्साहन मिला तथा भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
2. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवरहरलाल नेहरू जी ने घाना के वामे एन्क्रूमा, इंडोनेशिया के सुकर्णो, मिस्र के गमल अब्दुल नासिर, युगोस्लाविया के जोसेफ ब्रॉज टीटो आदि देश के नेताओं के साथ मिलकर 1961 में पहला गुटनिरपेक्ष सम्मेलन बेलग्रेड में किया।
3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन का दूसरा सम्मेलन 1964 क़ाहिरा में  प्रधानमंत्री लाल बहादुरशास्त्री जी ने विश्व शांति के उदेश्य के लिए किया जिसमें 05 प्रस्ताव रखे गए :-
(i) सीमविवादों को शांतिपूर्ण एवं विवेक ढंग  से सुलझाने हेतु।
(ii) अणु शस्त्रों के निर्माण एवं प्रयोग पर प्रतिबंध  लगाने`हेतु।
(iii) अध्यक्ष के रूप में भारत ने पूर्ण निः शस्त्रीकरण के लिए UNO में एक प्रस्ताव पेश किया।
(iv) UNO  का समर्थन करने में बल दिया आदि।

गुटनिरपेक्ष सम्मेलन

गुटनिरपेक्ष सम्मेलन

साल

सम्मेलन

स्थान (देश)

टिप्पणी

1956

-

न्यूयॉर्क

पहली बैठक 05 राष्ट्राध्यक्ष

1961

1st

बेलग्रेड (यूगोस्लाविया)

25 देश

1964

2st

काहिरा (मिस्र)

 

1983

7rd

दिल्ली (भारत)

 

2006

14th

हवाना (क्यूबा)

116 देश , 15 पर्यवेक्षक देश

2016

17th

पॉर्लामार (वेनेजुएला)

 

2019

18th

बाकू (अज़रबैजान)

125 देश , 25 पर्यवेक्षक देश



गुटनिरपेक्षता को अपनाने की भारत की महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षा :-

भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति को इस आधार पर अपनाया था कि भारत स्वयं की नीतियां बनाना चाहता था।
 1 . आर्थिक  पुनर्निर्माण :- स्वतंत्रता के बाद अपना आर्थिक  विकास करने की चुनौती भारत के लिए सबसे बड़ी सबसे बड़ी चुनौती थी, क्योकि भारत को आज़ादी अंग्रेज़ो से लगभग 200 वर्षों के पश्चात् मिली और उन्होंने भारत का खूब शोषण किया। जिसके परिणामस्वरूप अकाल तथा खाद्य पदार्थ जैसी समस्याएँ आम थीं। जिसके चलते भारत की आर्थिक  स्थिति बहुत ख़राब थी।  जिस कारण वह  वह किसी भी गुट में शामिल होने के लिए बिलकुल भी राजी नहीं थे और नाही वह किसी गुट में शामिल होकर या किसी युद्ध का हिस्सा बनकर इसे और ख़राब नहीं करना चाहता था।
2. स्वतंत्रता को बनाये रखना :- भारत को आज़ादी 200 वर्षो पश्चात् मिली थी जिसे वह किसी गुट में शामिल होकर खोना नहीं चाहता था।
3. भारत की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए :- भारत को अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए गुटनिरपेक्ष नीति का समर्थन करना आवश्यक था। यदि भारत स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण करते हुए अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर निष्पक्ष रूप से अपना निर्णय लेता है तो दोनों गुट उसके विचारों का समर्थन करते हैं।
4. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति बनाये रखना :- भारत किसी भी गुट का समर्थन करके युद्ध की संभावनाओं को बढ़ाने के पक्ष में नहीं था और भारत को यह बात  पता थी कि युद्ध जैसी स्थिति को रोकना है तो दोनों गुटों से  अलग रहकर अपनी नीति तथा परामर्श दिया जा सकता हैं इसलिए भारत ने गुटनिरपेक्ष को अपनाया।
5. भारत गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाकर दोनों गुटों से आर्थिक सहायता प्राप्त करना चाहता था। 



❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) – गुटनिरपेक्ष आंदोलन

Q1. गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) क्या है?
Ans : गुटनिरपेक्ष आंदोलन (Non-Aligned Movement) शीत युद्ध के समय नव-स्वतंत्र देशों का वह आंदोलन था जिसमें देशों ने किसी भी सैन्य गुट – अमेरिका या सोवियत संघ – में शामिल न होकर स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई।

Q2. गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत कब और किन देशों ने की थी?
Ans : गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत 1961 में बेलग्रेड (युगोस्लाविया) में हुई थी। इसके संस्थापक नेता थे – पंडित जवाहरलाल नेहरू (भारत), जोसिप ब्रोज़ टिटो (युगोस्लाविया), गमाल अब्देल नासिर (मिस्र), सुकर्णो (इंडोनेशिया) और क्वामे नक्रूमा (घाना)।

Q3. गुटनिरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्य क्या थे?

Ans : (i) किसी भी सैन्य गुट में शामिल न होना
(ii) स्वतंत्र और स्वायत्त विदेश नीति अपनाना
(iii) उपनिवेशवाद और नस्लभेद का विरोध करना
(iv) शांति और सहयोग को बढ़ावा देना
(v) विकासशील देशों की एकजुटता और आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करना

Q4. शीत युद्ध में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की भूमिका क्या रही?
Ans : NAM ने शीत युद्ध के दौरान विश्व में तनाव को कम करने, परमाणु हथियारों की दौड़ का विरोध करने, और तीसरी दुनिया (Third World) के देशों की आवाज़ बुलंद करने में अहम भूमिका निभाई।

Q5. भारत और गुटनिरपेक्ष आंदोलन का संबंध क्या है?
Ans : भारत गुटनिरपेक्ष आंदोलन का संस्थापक सदस्य है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने NAM की विचारधारा को आकार दिया और भारत ने हमेशा स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई। आज भी भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर NAM के सिद्धांतों का पालन करता है।

Q6. बोर्ड परीक्षा में गुटनिरपेक्ष आंदोलन से कौन-कौन से प्रश्न पूछे जाते हैं?

Ans : गुटनिरपेक्ष आंदोलन की परिभाषा दीजिए।
NAM के संस्थापक देशों और नेताओं के नाम लिखिए।
NAM के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
भारत और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संबंध का वर्णन कीजिए।








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